आशीष सिंह
अहमदपुर, बाराबंकी । सड़क में गड्ढे या गड्ढे में सड़क, बाराबंकी प्रशासन की गड्ढा मुक्त सड़कों की घोषणा मात्र एक अफ़सोस की कहानी बन गई है। यदि आप विकासखंड बनीकोडर के ग्राम पंचायत छंदवल अंतर्गत नारे का पुरवा गांव और अहमदपुर कस्बे के बीच की सड़क पर जाएं, तो आपको यहां की वास्तविकता का सामना करना पड़ेगा। अहमदपुर से सैदखनपुर को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग और अयोध्या-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग से अहमदपुर कस्बे की ओर जाने वाली मुख्य सड़कें अब गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं।
इन गड्ढों के कारण स्थानीय लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं। सड़कें अब तालाबों की तरह दिखने लगी हैं, जिससे वाहन चालकों और पैदल चलने वालों को गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है। सड़क पर हर दिन हजारों लोग आवागमन करते हैं, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी से उनकी जान जोखिम में है

स्थानीय निवासी मुकेश कुमार, जो दूध डेरी का व्यवसाय करते हैं, कहते हैं, “जब हम गाड़ी चला रहे होते हैं, तो अपने चालक को सावधानी बरतने के लिए कहते हैं, वरना यमराज का सामना करना पड़ सकता है।”
ग्राम नारे का पुरवा के अन्य निवासी जैसे ज्ञानचंद, अशोक कुमार और सर्वेश पाल ने बताया कि यहां अक्सर सड़क हादसे होते हैं। बड़ी गाड़ियों का आना-जाना भी बढ़ गया है, जो टोल टैक्स से बचने के लिए इन गड्ढों भरी सड़कों का इस्तेमाल करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बाइक सवार और अन्य राहगीर अक्सर दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने कई बार जिला प्रशासन को सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन इन सड़कों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। लोग अब इस बात को लेकर निराश हैं कि जब वे अधिकारियों से अपनी समस्याएं साझा करते हैं, तो उनकी आवाज़ें अनसुनी रह जाती हैं।

इस गंभीर मुद्दे की अनदेखी से स्थानीय लोगों में असुरक्षा का भाव बढ़ता जा रहा है। अब सवाल यह है कि क्या बाराबंकी प्रशासन इन गड्ढों को भरने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गंभीरता से कदम उठाएगा? समय की मांग है कि प्रशासन जागे और स्थानीय निवासियों की समस्याओं का समाधान करे, ताकि सड़कें सुरक्षित और गड्ढा मुक्त बन सकें।
