आशीष सिंह
बाराबंकी । शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ अकादमिक योग्यता से नहीं है, सच्ची शिक्षा राष्ट्र उत्थान एवं समाज कल्याण से जुटी होती है। हमें व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व बनने का प्रयास करना चाहिए। उक्त बाते जनपद के मुंशी रघुनंदन प्रसाद सरदार पटेल महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों द्वारा आयोजित विश्व साक्षरता दिवस कार्यक्रम की पूर्व संध्या के अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ० ऊषा चौधरी ने स्वयंसेविकाओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
कार्यक्रमाधिकारी डॉ० सरिता सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति का वर्तमान समय में क्रियान्वयन सफलतापूर्वक हो गया है। नई शिक्षा नीति के साथ भारत का भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल है। हमें अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर वैश्विक भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। कार्यक्रमाधिकारी फरहा शीबा खान ने कहा कि साक्षर होना वर्तमान परिस्थिति में बहुत आवश्यक है लेकिन साथ ही साथ व्यावहारिक ज्ञान भी होना चाहिए।
निःस्वार्थ भाव से सेवा करना ही सच्चे अर्थों में शिक्षा है विश्व साक्षरता दिवस मनाने का मकसद लोगों के साक्षर होने के साथ सामाजिक व मानव विकास के अपने अधिकारों को जानने की आवश्यकता के बारे में भी जागरूक करना है। इस वर्ष की थीम ‘बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना आपसी समझ एवं शांति के लिए साक्षरता विषय पर भी चर्चा की गयी।
इस अवसर पर नई शिक्षा नीति शीर्षक पर वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा शांति के लिए सामारता’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें स्वयंसेविकाओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया। ज्वलन्त मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई तथा सभी ने अपने तार्किक पक्षों को अत्यन्त सराहनीय ढंग से प्रस्तुत किया।
