अनकही पीड़ा से अभिव्यक्ति तक: नारी स्वर की गूंज

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

लखनऊ : अनकही पीड़ा से अभिव्यक्ति तक” साहित्य के क्षेत्र में नारी संवेदनाओं को नए स्वर देने वाली डॉ. वरदा शुक्ला की पुस्तक ये वह शब्द नहीं  का परिचय एवं चर्चा समारोह आयोजित किया गया।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी मुख्य अतिथि रहीं, जबकि कार्यक्रम का संयोजन डॉ. मनमीत सिंह ने किया।

डॉ. वरदा शुक्ला ने इस कथा-संग्रह में उन स्त्रियों की व्यथा को शब्द दिए हैं, जिनकी कहानियाँ अक्सर अंधेरे में खो जाती हैं।

उनके अनुसार, यह पुस्तक केवल कहानियों का संग्रह नहीं, बल्कि समाज के प्रतिबिंब को उजागर करने वाला एक दस्तावेज़ है।

अपनी लेखनी के बारे में वे कहती हैं,  हर व्यक्ति का एक पेशा होता है, लेकिन उसके भीतर कोई और जुनून भी होता है, जो उसे सुकून देता है।

मैं समाज को बारीकी से देखती हूँ और जब कोई घटना दिल को छू जाती है, तो उसे शब्दों में ढालने की इच्छा जाग उठती है। ये वह शब्द नहीं  उन असंख्य स्त्रियों की आवाज़ को स्वर देता है, जिनकी पीड़ा अक्सर अनसुनी रह जाती है। लेखिका कहती हैं,

एक स्त्री का मौन भी बहुत कुछ कहता है। उसकी पीड़ा अक्सर शब्दहीन होती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह महसूस नहीं होती।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

यह पुस्तक समाज में स्त्रियों के संघर्ष, उनकी मानसिकता और बदलाव की जरूरत को रेखांकित करती है। यह उन अनकही कहानियों की गूंज है, जो अब दबने को तैयार नहीं।

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Author: TSOI

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