हुज़ूर स0 की सीरत के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुजरोगे तो कामयाब हो जाओगे:मोहम्मद मोहसिन

अहमद सईद

फतेहपुर, बाराबंकी । अंजुमन मुस्लिम आना फंड की जेली सीरत कमेटी की जानिब से कस्बा फतेहपुर में बारह रबीउल अव्वल के मौके पर आयोजित होने वाले चार दिवसीय परंपरागत धार्मिक कार्यक्रमों के चौथे दिन ऑल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन सतबुर्जी मस्जिद के सहन में हुआ जिसकी अध्यक्षता उस्ताद शायर अलहाज जमीर फैजी ने की और संचालन जमील अख्तर जैदपूरी ने किया

जबकि मुशायरे में मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष बाराबंकी मोहम्मद मोहसिन, पूर्व ब्लॉक प्रमुख एवं सामाजिक शख्सियत चौधरी तालिब नजीब कोकब और चैयरमेन प्रतिनिधि बेलहरा मोहम्मद अयाज़ खान ने शिरकत की, सभी मुख्य अतिथियों को अंगवस्त्र ओढ़ाकर व शील्ड देकर सम्मानित किया गया।

मोहम्मद मोहसिन ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब से इस कायनात की तख़लीक़ हुई है तब से मुसलस एक पैगाम दिया जा रहा है कि अल्लाह के बन्दों, नेक बन्दे बन जाओ और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारोगे तो कामयाब हो जाओगे।

मोहम्मद अयाज़ खान ने अपने सम्बोधन में कहा कि अगर हम रसूल के मानने वाले हैं बगैर किसी भेद भाव के सभी से मोहब्बत करने वाले होंगे, चाहे कोई हिन्दू हो या मुसलमान, चाहे कोई सिख हो या ईसाई।

हमें बड़ों की इज़्ज़त और माँ बाप की खिदमत और छोटों पर शफ़क़त करनी चाहिए और पड़ोसी का हक़ अदा करना चाहिए। नातिया मुशायरे में श्रोताओं ने नात व मनकबत के अशआर सुनकर शायरों की खूब हौसला अफजाई की और सुबहानअल्लाह-सुबहानअल्लाहकहकर दाद दी।

अध्यक्षता कर रहे ज़मीर फ़ैज़ी ने पढ़ा- वो एक खित्ते में महदूद कैसे हो जाते, उन्हें तो सारे जहाँ का इमाम होना था। शमशेर जहानागंजवी ने पढ़ा- मेरे अल्लाह मुझे ऐसी फ़ज़ीलत देदे, मुझको ईमान पे मरने की सआदत देदे। वसीम रामपूरी ने पढ़ा- दिल में उतरने लगता है चेहरा हुज़ूर का, जब देखता हूँ गुम्बदे-खज़रा हुज़ूर का।

अहमद सईद हर्फ़ ने पढ़ा- सीरते-असहाब से ये दर्स मिलता है हमें, इख़्तिलाफ़ अपनी जगह इन्सानियत अपनी जगह। रिज़वान जमाली ने पढ़ा- पता ये देती है हमको इमामते-सिद्दीक़, कि जानशीनी का एलान होने वाला है।

अशफ़ाक़ बहराइची ने पढ़ा- क्या बताऊँ कितनी हैं खूबियाँ मदीने में, खार भी तो चूमे हैं तितलियाँ मदीने में। हस्सान साहिर ने पढ़ा- जिसने अपनी ख़ुशबू से कुल जहान महकाया, फूल इक खिला ऐसा हाशमी घराने में। इसके अलावा कारी गुलाम सरवर उड़ीसा, कारी अब्दुल बातिन फ़ैज़ी फैजाबादी, कलीम तारिक़ सैदनपूरी, फ़ारूक़ दिलकश मऊनाथभंजन, उमर अब्दुल्ला बाराबंकवी, जमील अख़्तर जैदपूरी ने भी अपने नातिया व मनकबती कलाम पेश किए।आखिर में कनवीनर मुशायरा अहमद सईद हर्फ़ ने सभी शायरों और श्रोताओं के धन्यवाद किया।

मुशायरे का समापन प्रातः पाँच बजे हुआ इस अवसर पर मौलाना साबिर क़ासमी, मुफ़्ती नजीब क़ासमी, मोहम्मद असलम एडवोकेट, डॉ0 जमालुद्दीम अलीग, चौधरी वक़ार अहमद, मोहम्मद नसीम गुड्डू, हाजी एजाज़ अहमद अंसारी, अतीक अहमद इदरीसी, मुमताज़ अहमद, यूसुफ जमाल, हाजी नसीरुद्दीम, हाफिज अतीक, शाकिर बहलीमी, मोहम्मद सुहैल खान, खुर्शीद जमाल, मोहम्मद अक़ीक़ पप्पू, इश्तियाक कुरैशी, रेहान कुरैशी, सद्दाम मंसूरी आदि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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Author: TSOI

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