लखनऊ : विश्व फार्मेसिस्ट दिवस के अवसर पर फार्मासिस्ट फेडरेशन, खुशी फाउंडेशन और मेदांता अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में एक वैज्ञानिक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती अपर्णा यादव ने कहा कि विकसित देशों की तर्ज पर प्रदेश में फार्मेसिस्ट की भूमिका को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार शीघ्र ही एक रूपरेखा तैयार करेगी।
उन्होंने कहा, मैं इस मुद्दे पर माननीय मुख्यमंत्री से शीघ्र ही संवाद करूंगी। सेमिनार में अपर्णा यादव ने फार्मेसिस्टों की समाज में अहम भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनकी जिम्मेदारी है कि वे स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान दें। उन्होंने फार्मेसिस्टों के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर में नियुक्तियों और फार्मेसी अधिकारी का पदनाम दिलाने की भी बात की। साथ ही, उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य रक्षा के लिए फार्मेसिस्ट फेडरेशन के साथ मिलकर काम करने का आश्वासन दिया।
खुशी फाउंडेशन की श्रीमती ऋचा द्विवेदी ने फार्मेसिस्ट डे की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह दिन फार्मासिस्टों के महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है। इस साल की थीम “Pharmacists: Meeting global health needs” है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में फार्मेसिस्टों की भूमिका को उजागर करती है।

सेमिनार में विशेषज्ञों ने विभिन्न स्वास्थ्य मुद्दों पर विचार साझा किए। किडनी विशेषज्ञ डॉ. मनमीत सिंह ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों के लिए नियमित जांच की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ पांडे ने हड्डी की समस्याओं और आर्थराइटिस के बारे में जानकारी दी।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ डॉ. अंशुल गुप्ता ने इसके नए अपडेट्स साझा किए और मरीजों के जीवन रक्षक पहलुओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान डॉक्टरों ने बेसिक लाइफ सपोर्ट और CPR की जानकारी भी दी। इसके साथ ही, सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
फेडरेशन के संरक्षक के के सचान ने वैश्विक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने में फार्मेसिस्टों की भूमिका पर विचार साझा किए। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के पंजीकृत फार्मेसिस्ट, हॉस्पिटल/क्लिनिकल फार्मेसिस्ट, और औषधि विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे।
फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव और महामंत्री अशोक कुमार ने इस सफल आयोजन के लिए खुशी फाउंडेशन और मेदांता का आभार व्यक्त किया। इस प्रकार, यह सेमिनार फार्मेसिस्टों की भूमिका को मजबूती देने और समाज में उनके योगदान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
