लखनऊ । गुजरात सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत कार्यरत गुजरात साइंस सिटी में 21 सितंबर 2024 को ‘मस्कुलर डिस्ट्रॉफी अवेयरनेस प्रोग्राम’ का आयोजन किया गया। सितंबर माह को “मस्कुलर डिस्ट्रॉफी अवेयरनेस मंथ” के रूप में मनाया जाता है। जिसके तहत 21 सितंबर को गुजरात साइंस सिटी में भारतएमडी फाउन्डेशन के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में HAMC आयुर्वेद महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रचना जाजल विशेष रूप से उपस्थित रहीं।
इसके अलावा भारतएमडी फाउंडेशन की गुजरात राज्य प्रमुख श्रीमती मनीषा वैद्य, गुजरात साइंस सिटी के साइंस पोप्यूलराइजेशन विभाग के जनरल मैनेजर व्रजेश परीख और बड़ी संख्या में डीएमडी वॉरियर्स, उनके परिवार और अहमदाबाद की मानसिक आरोग्य की अस्पताल के मरीज उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डीएमडी वोरियर्स एवं उनके परिवारों को संबोधित करते हुए डॉ. रचना जाजल ने बताया कि यह बीमारी जन्मजात है।

इस बीमारी का पता बच्चे के चार या पांच साल के होने के बाद चलता है। इस बीमारी में मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं और कुछ सालों के बाद बच्चे के हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं और वै व्हीलचेयर पर आ जाता है। उन्होंने आगे कहा कि इस बीमारी का इलाज ढूंढने का काम पूरी दुनिया में चल रहा है. हालाँकि, कुछ महिने पहले अमेरिका में इस बीमारी के इलाज के लिए एलिविडिस जीन थेरेपी की खोज की गई है।
जो बहुत ही असरदार है. लेकिन इसकी कीमत बहुत ज्यादा है. इस बीमारी की एक और दवा ग्विनोस्टैट है। जो मांसपेशियों में फाइब्रोसिस को रोकता है। उन्होंने कहा कि अगर ये दोनों दवाएं भारत में उचित दरों पर उपलब्ध होंगी तो इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को काफी फायदा होगा. बड़ी संस्थाओ में काम कर रहे कुछ डीएमडी वोरियर्स को मोमेंटो देकर कार्यक्रममें सम्मानित किया गया।
जिन्होंने अपने संबोधन में अन्य डीएमडी वोरियर्स से हिम्मत न हारने और आगे बढने को कहा. कार्यक्रम के बाद, भाग लेने वाले डीएमडी वोरियर्स और उनके परिवारों और अभिभावकों को गुजरात साइंस सिटी की एक्वेटिक गैलरी और रोबोटिक्स गैलरी की गाईडेड टूर कराई गई। गौरतलब है कि गुजरात साइंस सिटी लोगों और छात्रों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहता है।
