कुशीनगर (संवाददाता)। 72 एकड़ में बनेगा मॉडल हब” सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए कुशीनगर जिले में 72 एकड़ भूमि पर एक अत्याधुनिक बहुउद्देशीय मॉडल हब की स्थापना की जा रही है।
यह परियोजना न केवल सीमाई गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार की अनेक सुविधाएं एक ही परिसर में उपलब्ध कराएगी।
जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि तहसील तमकुही के ग्राम सभा रजवटिया, जो कि बिहार की सीमा से सटा हुआ क्षेत्र है, को इस परियोजना के लिए चुना गया है।
इस क्षेत्र में कुल 72 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है, जिसमें से 45 एकड़ निजी जमीन क्रय की गई है और 27 एकड़ सरकारी भूमि उपलब्ध है।
इस परियोजना का क्रियान्वयन जिलाधिकारी के नेतृत्व में किया जा रहा है, और लोक निर्माण विभाग (PWD) को नोडल विभाग बनाया गया है।
पीडब्ल्यूडी द्वारा सड़कों, ड्रेनेज, सीवरेज जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। इसके पश्चात विभिन्न विभागों को उनकी आवश्यकता के अनुसार भूमि का आवंटन किया जाएगा।
परिवहन विभाग के अंतर्गत आधुनिक बस अड्डा और ट्रक टर्मिनल बनाए जाएंगे। वहीं, कृषि विभाग की योजनाओं के तहत किसान हाट, फूड कोर्ट, कृषि मॉल और बीज-खाद केंद्र की स्थापना की जाएगी।
स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने हेतु ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के अंतर्गत विशेष बाजार और बिक्री केंद्र स्थापित होंगे।
पर्यटन विभाग भी इस हब में टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर, होटल, मोटल, रेस्टोरेंट और सांस्कृतिक प्रदर्शन केंद्र विकसित करेगा।
एक भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण किया जाएगा, जिसमें उत्तर प्रदेश और कुशीनगर की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पीपीपी मॉडल, एनजीओ और चैरिटेबल ट्रस्ट की भागीदारी से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जाएगी।
शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय और कॉलेज भी बनाए जाएंगे, जिससे क्षेत्रीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ होगी।
इसके अलावा, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप, सीएनजी स्टेशन, ओपन एयर जिम जैसी आधुनिक सुविधाएं इस परियोजना का हिस्सा होंगी।
परियोजना के लिए सांकेतिक लेआउट तैयार कर लिया गया है और अंतिम लेआउट एक सप्ताह के भीतर लोक निर्माण विभाग को सौंपा जाएगा।
यह मॉडल हब न केवल बुनियादी सुविधाओं का समावेश करेगा, बल्कि सीमाई गांवों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त करेगा।
स्थानीय लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, जिससे पलायन में भी कमी आएगी। यह परियोजना कुशीनगर जिले के विकास का एक नया अध्याय साबित होगी और राज्य की सीमावर्ती रणनीतिक दृष्टि को सशक्त आधार प्रदान करेगी।